India-US Trade Deal 2025: टैरिफ वॉर के बीच Piyush Goyal US Visit, India US Tariff War पर होगी बड़ी बातचीत

India-US Trade Deal 2025: टैरिफ वॉर के बीच Piyush Goyal US Visit, India US Tariff War पर होगी बड़ी बातचीत

 India US Trade Deal 2025 इस समय चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा है। हाल ही में अमेरिका ने भारतीय प्रोडक्ट्स पर 50% टैरिफ लगा दिया, जिससे India US Tariff War और तेज हो गया। अब इस विवाद को खत्म करने और दोनों देशों के बीच एक मजबूत bilateral trade agreement बनाने के लिए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री Piyush Goyal US Visit पर 22 सितंबर को अमेरिका जा रहे हैं।

Indo-US Relations और Trade Talks में तेजी


16 सितंबर को भारत में हुई बैठक में अमेरिकी ट्रेड नेगोशिएटर ब्रेंडन लिंच और भारतीय प्रतिनिधि राजेश अग्रवाल ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस Indo-US Trade Talks के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि बातचीत को तेज़ किया जाए ताकि जल्द से जल्द एक mutually beneficial Indo-US Trade Agreement हो सके।

India US Tariff War का असर


अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 25% बेसिक टैरिफ और 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है। यह कदम उसने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर उठाया। इसका असर भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी बाज़ार दोनों पर पड़ा है। यही वजह है कि India US Tariff War अब एक बड़ा विषय बन गया है।


हालांकि, इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “मित्र” कहकर सकारात्मक संदेश दिया और मोदी ने भी दोस्ताना प्रतिक्रिया दी। इससे उम्मीद है कि India US Trade Deal 2025 को लेकर रास्ता साफ होगा।


क्यों अहम है Piyush Goyal US Visit?

Piyush Goyal US Visit के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल अपने अमेरिकी समकक्षों से मुलाकात करेगा। इस यात्रा का उद्देश्य है कि दोनों देशों के बीच चल रहे मतभेदों को दूर कर एक मजबूत India US Trade Deal पर सहमति बनाई जाए। इस डील से भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाज़ार में ज्यादा अवसर मिलेंगे और अमेरिकी निवेशकों को भारत में नई संभावनाएं मिलेंगी।

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Bilateral Trade Agreement 2025 से दोनों देशों को फायदा

भारत और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। ऐसे में अगर Bilateral Trade Agreement 2025 पर सहमति बनती है, तो यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक संबंधों के लिए बड़ा बदलाव साबित होगा। यह डील भारतीय एक्सपोर्टर्स को अमेरिकी मार्केट में राहत देगी और अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में निवेश का माहौल और बेहतर बनाएगी।

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